तीन स्थान जहां सूर्य की पूजा विशेष फलदायी
सूर्य देव सर्वव्यापी हैं। दुनिया के किसी भी कोने में इनका दर्शन करते हुए इनकी पूजा दुनिया के किसी भी कोने में आप कर सकते हैं। लेकिन तीन स्थान ऐसे हैं जहां सूर्य की पूजा करना विशेष फलदायी मानी गर्ई है।
कालपीः यह स्थान उत्तर प्रदेश के जालौन जिले में यमुना तट पर स्थित है। प्राचीन काल में इसे कालप्रिया नगरी के ना से जाना जाता था। भगवान श्री कृष्ण के पुत्र शांब को दुर्वासा ऋषि के शाप के कारण कुष्ट रोग हो गया था।
मकरंजनगर में स्थित सूर्यकुंड में स्नान करके शांब कुष्ट मुक्त हुए थे। इसलिए शांब ने कालप्रियनाथ सूर्यदेव का मंदिर बनवाया था। माना जाता है कि यहां सूर्य की पूजा करने से त्वचा रोग से मुक्ति मिलती है।
उइन्द्रवनः भविष्य पुराण में व्रज के उपवनों का वर्णन मिलता है। इन में एक वन है सूर्यवन। पुराण के अनुसार इस वन में सूर्य की आराधना करने से सूर्य देव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
सांबपुरः वर्तमान मुल्तान का प्राचीन नाम सांबपुर है। श्री कृष्ण के पुत्र ने इस नगर की स्थापना की थी। यहां सांब को कुष्ट रोग से मुक्ति के लिए श्री कृष्ण ने सूर्य देव की प्रसन्नता हेतु भव्य यज्ञ का आयोजन किया था।