ब्रह्माण्ड की आंख बताई जाती है। यह प्रथम भाव मे उच्च का फ़ल देने वाला होता है तो सप्तम मे नीच का फ़ल देने वाला होता है। उच्च का फ़ल जातक के अपने अहम से सम्बन्ध रखने वाला होता है जबकि सप्तम का फ़ल जातक के विरोधी का अहम वाला फ़ल देने के लिये जाना जाता है। सूर्य दूसरे भाव मे जाकर सरकार से फ़ायदा देगा तो अष्टम मे जाकर सरकार को फ़ायदा देने वाला बन जायेगा। तीसरे भाव का सूर्य सहयोगी बन जायेग तो नवे भाव मे जाकर विरोध करना शुरु कर देगा,चौथे भाव मे जाकर राजकीय सुख को देने वाला होगा तो दसवे भाव में राज को सुख देने वाला बन जायेगा,पंचम मे जाकर राज्य की प्राप्ति देगा तो ग्यारहवे भाव मे जाकर राज्य को हरण करने वाला बन जायेगा। इसी तरह से छठे भाव मे जाकर राजकीय दुख देगा तो बारहवे भाव मे जाकर राजकीय सुख देने के लिये अपनी युति को प्रदान करने लगेगा। चन्द्रमा के साथ पहले भाव मे होगा तो माता पिता के साथ रहने वाला माना जायेगा और सप्तम मे होगा तो जीवन साथी या साझेदार की राजनीति से घर मे ही विद्रोह करवाने वाला होगा दूसरे भाव मे चन्द्रमा के साथ होगा तो जनता से सरकारी सम्बन्ध होने के कारण रोजाना की ऊपरी कमाई करवायेगा लेकिन अष्टम मे जाकर राजकीय कमाई को जनता मे वितरण करने वाला बना देगा,तीसरे भाव मे चन्द्रमा के साथ होगा तो राज्य और सरकार दोनो ही हिम्मत देने वाले बन जायेंगे और नवे भाव मे जाकर राज्य और सरकार दोनो ही विपरीत प्रभाव देने लगेंगे,चौथे भाव मे जाकर सूर्य और चन्द्र दोनो सुख के कारक बन जायेंगे तथा सरकार और जनता का प्रिय बना देंगे और जब वही दोनो दसवे भाव मे होंगे तो जनता और सरकार के काम करने के कारण तथा हर काम को समय पर पूरा नही करने के कारण समय ही नही मिलेगा साथ मे बदनामी भी मिलने लगेगी।
पंचम भाव मे राज्य को देगा मनोरंजन के विभाग सौंपेगा तो ग्यारहवे भाव मे जाकर राज्य और मनोरंजन को राजकीय लोगो के लिये करना पडेगा,छठे भाव मे जाकर सरकारी चाकरी करवायेगा और रोजाना के कामो के अन्दर मानसिकता को आघात देगा तो बारहवे भाव मे जाकर वह मानसिकता को आगे बढाने वाला होगा और ऊपरी पहुंच को भी बनाने मे मदद करेगा। सूर्य चन्द्रमा के साथ पहले भाव मे मंगल के होने से घर विरोधी और अपमान को कन्ट्रोल करने वाला बना देगा तथा सप्तम मे युति होने के कारण इन्ही कारणो में नीचा दिखाने का भी काम करेगा और विरोधी के द्वारा कार्य अवरोध मे किये जायेंगे शरीर को बन्धक बनाकर रखना होगा तथा भोजन और धन आदि पर अंकुश लगा रहेगा। दूसरे भाव मे होने पर धन और परिवार में सरकारी सहायता भी मिलेगी तथा पिता माता छोटी बहिन का साथ भी होगा और समय पर सहायता भी मिलती रहेगी लेकिन अष्टम मे जाने पर ह्र्दय पर अधिक वजन होने के कारण आघात भी होगा बदनामी भी होगी और जीवन साथी के लिये भी किसी न किसी प्रकार का कष्ट बना रहेगा।
तीसरे भाव मे होने से खुद को ही अपने परिवार के लिये हिम्मत जुटानी पडेगी और जो भी कार्य किये जायेंगे उसके अन्दर लोगो का दखल भी होगा लोगो की राजनीति भी होगी और किये जाने वाले कार्यों का श्रेय दूसरे ले जायेंगे,यही बात नवे भाव मे जाकर मुकद्दमा केश न्याय के लिये भागना पारिवारिक रंजिस से परेशान रहना होने लगेगा। चौथे भाव मे उन्नत भोजन और रहन सहन को प्राप्त करवायेगा घर के अन्दर सुरक्षा के लिये राजकीय और जनता का सहयोग रहेगा वही दसवे भाव मे जाकर जनता का भी सहयोग करना पडेगा लोगो के रहने और भोजन आदि का बंदोबस्त भी करना पडेगा। इसी प्रकार से पंचम भाव मे जाने से राजनीति और शिक्षा के लिये तकनीकी बुद्धि का प्रयोग करना पडेगा खेल कूद आदि के द्वारा मनोरंजन का अवसर मिलेगा जबकि ग्यारहवे भाव मे जाने से लोगो के लिये बडे भाई के लिये और परिवार के लिये कंजूसी से मिले साधनोके द्वारा सभी काम करने पडेंगे। आदि बाते सूर्य के फ़लो के लिये जानी जा सकती है।